बोलता सच,देवरिया। देवरिया जनपद के बघौचघाट थाना क्षेत्र के मदीना बाजार चौराहे पर बुधवार शाम आयोजित ‘पैगाम-ए-अमन’ मुशायरे ने देर रात तक साहित्य और सौहार्द का अनोखा संगम प्रस्तुत किया। मंच पर जब कवि और शायरों ने अपनी रचनाओं का पाठ शुरू किया, तो पूरा मैदान तालियों की गूंज से भर उठा। यह आयोजन न सिर्फ एक कवि सम्मेलन था, बल्कि अमन, एकता और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक बन गया।
कार्यक्रम की शुरुआत शाम लगभग सात बजे हुई, जब क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों, विद्यार्थियों और सैकड़ों श्रोताओं की मौजूदगी में पैगाम-ए-अमन कमेटी के अध्यक्ष जनार्दन शाही और संयोजक अब्दुल खालिक ने दीप प्रज्वलित कर मंच का शुभारंभ किया। उद्घाटन के साथ ही मंच से कवि संतोष संगम ने अपने विशेष अंदाज में श्रोताओं का स्वागत करते हुए कहा, “यह मुशायरा केवल शायरी का नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने का माध्यम है।”
कार्यक्रम में बादशाह तिवारी, अपूर्व विक्रम शाह, प्रतिभा यादव, वसीम मजहर, संतोष संगम, अवध किशोर, डॉ. शाकिर अली, अब्दुल खालिक, बृजेश त्रिपाठी और छोटेलाल कुशवाहा जैसे कवियों ने अपनी प्रस्तुतियों से लोगों को भावविभोर कर दिया। कभी शायरों के चुटीले अंदाज पर ठहाके लगे तो कभी उनकी संवेदनशील पंक्तियों ने माहौल को भावुक बना दिया।
मेधावी छात्रों को किया गया सम्मानित
कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा विद्यार्थियों के सम्मान समारोह के रूप में सामने आया। पैगाम-ए-अमन कमेटी की ओर से क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक विद्यालयों के मेधावी छात्रों को सम्मानित किया गया। उन्हें प्रोत्साहन स्वरूप पुस्तकें और स्कूल बैग प्रदान किए गए।
सम्मानित शिक्षण संस्थानों में किंग्स पब्लिक स्कूल, देवता देवी महाविद्यालय, सेंट्रल पब्लिक स्कूल, मदनी इंटर कॉलेज, जे.एन. एकेडमी और मदरसा इस्लामिया श्यामपट्टी प्रमुख रहे। छात्रों को सम्मानित करते हुए कमेटी अध्यक्ष जनार्दन शाही ने कहा, “यह विद्यार्थी ही आने वाले कल के भारत के शिल्पकार हैं। अगर इन्हें अमन और भाईचारे का संदेश अभी से दिया जाए, तो समाज में नफरत की कोई जगह नहीं बचेगी।”
मुख्य अतिथियों ने दी प्रेरणादायक सीख
मुशायरे के मुख्य अतिथि जन संस्कृति मंच के महासचिव मनोज कुमार सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य और कविता हमेशा समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का सबसे प्रभावी माध्यम रही हैं। उन्होंने कहा, “आज जब दुनिया तनाव और विभाजन के दौर से गुजर रही है, ऐसे में ‘पैगाम-ए-अमन’ जैसे आयोजन समाज में एक नई ऊर्जा भरते हैं। शायर और कवि समाज के आईने हैं — उनकी कलम जब अमन लिखती है, तो नफरतें खुद-ब-खुद मिट जाती हैं।”
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के रूप में पूर्व विधायक गंगा सिंह कुशवाहा, वरिष्ठ समाजसेवी शिवाजी राय, विश्वनाथ सिंह और परवेज आलम मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि ऐसे कार्यक्रम समाज में संवाद और सौहार्द को मजबूत करते हैं।
मंच संचालन और अध्यक्षता में रही गरिमा
मुशायरे की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध शायर डॉ. शाकिर अली ने की, जिन्होंने कहा कि शायरी का मकसद सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि इंसानियत की मिसाल पेश करना है। उन्होंने कहा, “जब मंच से मोहब्बत की आवाज उठती है, तो नफरतें अपने आप थम जाती हैं।”
कार्यक्रम का संचालन कवि संतोष संगम ने अपने प्रभावशाली अंदाज में किया। उन्होंने हर शायर की प्रस्तुति से पहले रोचक परिचय देते हुए श्रोताओं को लगातार जोड़े रखा।
महफिल में गूंजा अमन और इंसानियत का पैगाम
रातभर चली कविताओं की इस महफिल में शायरों की आवाज़ ने देवरिया की रात को नई रौशनी से भर दिया। दर्शक देर रात तक मुशायरे में डटे रहे और हर रचना पर तालियों की गूंज सुनाई देती रही।
डॉ. समीउल्लाह खान, खुश मोहम्मद अंसारी, अमीरुद्दीन सिद्दीकी, मौलाना बदरुद्दीन, हामिद वारसी, असलम खान, कादिर खान, रफीउद्दीन खान, फ़ेरासत अली, हाफिज इरशाद, अजीमुल हक, बेलाल अहमद, सलाउद्दीन खान, शशि भूषण तिवारी और सरफुद्दीन शेख जैसे गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने आयोजन को और भी गरिमामय बना दिया।
अमन का संदेश लेकर समाप्त हुई रात की यह महफिल
रात लगभग बारह बजे जब आखिरी शायर ने अपनी नज़्म “हम सबका खुदा एक है, धर्म के नाम पर झगड़ा कैसा” सुनाई, तो श्रोताओं ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया। इस पंक्ति ने मानो आयोजन का सार स्पष्ट कर दिया — कि अमन और इंसानियत ही वह रास्ता है जो समाज को जोड़ सकता है।
कार्यक्रम के समापन पर आयोजक मंडल की ओर से सभी कवियों और शायरों को स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र देकर विदाई दी गई। अंत में अब्दुल खालिक ने कहा, “आज की यह रात याद दिलाती है कि जब तक हमारी जुबान पर मोहब्बत की बातें हैं, तब तक नफरतें कभी जीत नहीं सकतीं।”
इस तरह, ‘पैगाम-ए-अमन’ का यह मुशायरा न केवल साहित्यिक दृष्टि से सफल रहा, बल्कि इसने देवरिया की धरती से अमन, एकता और भाईचारे का मजबूत संदेश पूरे पूर्वांचल में पहुंचा दिया।
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