बोलता सच देवरिया : जिले में लगातार 24 घंटे से हो रही मूसलाधार बारिश और तेज हवाओं ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। पहले सूखे से जूझते रहे किसान अब बारिश की तबाही से बेहाल हैं। खेतों में खड़ी धान, मक्का, तिलहन और दलहन की फसलें या तो पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं या फिर तेज हवा से खेतों में गिरकर सड़ने लगी हैं। मौसम की इस मार ने किसानों की पूरी मेहनत और निवेश को मिट्टी में मिला दिया है।
खेतों में जलभराव से फसलें चौपट
गुरुवार रात से शुरू हुई झमाझम बारिश शनिवार शाम तक जारी रही। जिले के ग्रामीण इलाकों में खेतों में पानी भर गया है, जिससे धान और मक्का की फसलें पूरी तरह झुक गईं। जिन किसानों ने फसल की कटाई की तैयारी शुरू की थी, उनके लिए यह बारिश आपदा बनकर आई। कई खेतों में धान की बालियां पानी में डूब गई हैं, जिससे दाने सड़ने का खतरा बढ़ गया है। वहीं तिलहन और दलहन की फसलें भी खेतों में गलने लगी हैं।
कृषि विभाग के अनुसार, जिले के विभिन्न ब्लॉकों में करीब 70 प्रतिशत धान और मक्का की फसलें बारिश से प्रभावित हुई हैं। विभाग ने नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है, लेकिन किसानों को अब मुआवजे की उम्मीद कम ही नजर आ रही है।
“सूखा झेला, अब पानी ने सब कुछ डुबो दिया”
बघौच घाट क्षेत्र के किसान सुजीत यादव ने कहा, “पूरे सीजन भर सूखे से जूझते रहे। बड़ी मुश्किल से पानी चलाकर धान की फसल को बचाया। जब बालियां आईं, तभी आसमान फट पड़ा। अब पूरा खेत डूब चुका है। सारी मेहनत बेकार हो गई।”
वहीं पथरदेवा के गुलाब कहते हैं, “किसान की किस्मत खराब ही है। जब फसल को पानी चाहिए था, तब बूंद-बूंद के लिए तरसे। अब जब फसल तैयार हुई, तो ऐसी बारिश हुई कि सब कुछ बर्बाद हो गया। खेत में गिरी धान देखकर मन रोने को करता है।”
किसानों का कहना है कि भारी वर्षा से खेतों में इतना पानी भर गया है कि ट्रैक्टर या कोई भी मशीन फसल निकालने के लायक नहीं है। कुछ स्थानों पर बिजली के तार टूटने और पेड़ गिरने से हालात और खराब हो गए हैं।
ग्रामीण इलाकों में फंसे किसान
बारिश और तेज हवा से कई गांवों की कच्ची सड़कें भी ध्वस्त हो गई हैं। खेतों में बने पगडंडियां कीचड़ में तब्दील हो चुकी हैं। किसानों को अब यह चिंता सताने लगी है कि अगर पानी दो-तीन दिनों में नहीं घटा, तो फसल के साथ-साथ खेत की मिट्टी की उर्वरता भी प्रभावित होगी।
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि राजस्व विभाग और कृषि विभाग की टीमों को प्रभावित गांवों में भेजा गया है ताकि फसलों के नुकसान का सर्वे कराया जा सके। टीम अगले दो दिनों में रिपोर्ट तैयार कर जिला प्रशासन को सौंपेगी।
सरकार से मुआवजे की मांग
किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग उठाई है। उनका कहना है कि लगातार मौसम की मार से इस बार की खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। कई किसान पहले से ही कर्ज में डूबे हैं और अब यह नुकसान उन्हें आर्थिक रूप से तोड़ देगा।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि भारी वर्षा के कारण खेतों में पानी जमा रहने से धान के पौधों में फफूंदी और रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है। यदि दो दिन में मौसम साफ नहीं हुआ तो नुकसान और गहरा सकता है।
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