बोलता सच लखनऊ। उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने शुक्रवार को एक और बड़े बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी। अब फर्रुखाबाद लिंक एक्सप्रेसवे का निर्माण होगा, जिससे प्रदेश के प्रमुख एक्सप्रेसवे आपस में जुड़ जाएंगे। इसके पूरा होने पर प्रयागराज से लेकर मेरठ, लखनऊ और बुंदेलखंड तक का सफर और भी सुगम व तेज हो जाएगा। औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी ने बताया कि फर्रुखाबाद लिंक एक्सप्रेसवे की लंबाई 90.84 किलोमीटर होगी। इस परियोजना को 548 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके निर्माण पर कुल 7488 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
एक्सप्रेसवे की ग्रिड से होगा विकास
मंत्री नंदी ने जानकारी दी कि फिलहाल बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के चैनेज 133-800 पर मिलकर समाप्त होता है। इस मिलान बिंदु कुदरैल (जनपद इटावा) से गंगा एक्सप्रेसवे को फर्रुखाबाद ग्रीनफील्ड लिंक एक्सप्रेसवे के माध्यम से जोड़ा जाएगा। इससे गंगा, आगरा-लखनऊ और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की कनेक्टिविटी और मजबूत हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेसवे की ग्रिड बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। ग्रिड के जरिए यात्रियों और माल परिवहन दोनों के लिए समय और लागत की बचत होगी। साथ ही, औद्योगिक निवेश और क्षेत्रीय विकास को भी गति मिलेगी।
छह जिलों को सीधा लाभ
फर्रुखाबाद लिंक एक्सप्रेसवे के बनने से प्रदेश के छह जिलों — इटावा, मैनपुरी, कन्नौज, फर्रुखाबाद, शाहजहांपुर और हरदोई के लोग सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। इन जिलों के निवासियों को न सिर्फ तेज और सुरक्षित यात्रा का विकल्प मिलेगा, बल्कि औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।
स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे। एक्सप्रेसवे निर्माण के दौरान जहां बड़ी संख्या में श्रमिकों और इंजीनियरों को काम मिलेगा, वहीं निर्माण पूरा होने के बाद सड़क से जुड़े सर्विस सेक्टर, ट्रांसपोर्ट और छोटे व्यवसायों को भी गति मिलेगी।
प्रदेश के लिए अहम कदम
उत्तर प्रदेश सरकार लंबे समय से एक्सप्रेसवे परियोजनाओं पर जोर दे रही है। पूर्वांचल, बुंदेलखंड, गंगा और लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पहले ही प्रदेश की कनेक्टिविटी को नई दिशा दे चुके हैं। अब फर्रुखाबाद लिंक एक्सप्रेसवे इस नेटवर्क को और मजबूत करेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब यह परियोजना पूरी होगी, तब न केवल यात्रियों को फायदा मिलेगा बल्कि राज्य की औद्योगिक तस्वीर भी बदल जाएगी। छोटे जिलों और कस्बों तक बेहतर सड़क संपर्क पहुंचने से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और प्रदेश को नई विकास गति मिलेगी।
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