बोलता सच : देवरिया के उभरते क्रिकेटर अनुराग यादव ने अपनी मेहनत और प्रदर्शन के दम पर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्हें अरुणाचल प्रदेश रणजी ट्रॉफी टीम में बतौर रिज़र्व खिलाड़ी शामिल किया गया है। यह खबर मिलते ही देवरिया जिले के मेहड़ापुरवां गांव ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई। लोग इस सफलता को अनुराग की वर्षों की मेहनत और लगातार किए गए संघर्ष का परिणाम बता रहे हैं।
बचपन से क्रिकेट के प्रति जुनून
समाजसेवी महेंद्र यादव के पुत्र अनुराग का क्रिकेट के प्रति प्रेम बचपन से ही रहा है। उन्होंने वर्ष 2011 में रविंद्र किशोर शाही स्पोर्ट्स स्टेडियम, देवरिया में विधिवत कोचिंग शुरू की। शुरुआती दिनों से ही कोचों ने उनकी फिटनेस, अनुशासन और तकनीकी दक्षता को देखते हुए उन्हें विशेष मार्गदर्शन दिया। अनुराग एक लेफ्ट आर्म मीडियम पेसर हैं, जो अपनी स्विंग और लाइन–लेंथ के लिए पहचान रखते हैं।
उत्तर प्रदेश टीम में मौका न मिलने पर भी नहीं हारी हिम्मत
उत्तर प्रदेश की टीम में अवसर न मिलने से निराश होने के बजाय अनुराग ने नए रास्तों की तलाश की। वर्ष 2018 में वह बेहतर संभावनाओं की तलाश में छत्तीसगढ़ चले गए। वहां उन्होंने 2017–18, 2018–19 और 2019–20 के दौरान अंडर-19 स्टेट टीम में शानदार प्रदर्शन किया और चयनकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया।
अरुणाचल प्रदेश में लगातार प्रदर्शन से मिली पहचान
पिछले चार वर्षों से अनुराग हर वर्ष करीब चार महीने अरुणाचल प्रदेश में बिताते हैं, जहां वे विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं। इस निरंतर भागीदारी और प्रदर्शन ने उन्हें अरुणाचल टीम के चयनकर्ताओं की नजर में मजबूत जगह दिलाई। बाकी समय में वह देवरिया के भुजौली कॉलोनी क्रिकेट ग्राउंड में अभ्यास करते हुए अपनी फिटनेस और कौशल को निखारते रहते हैं।
साथी खिलाड़ियों और जनप्रतिनिधियों ने दी बधाई
अनुराग के चयन की खबर मिलते ही सोशल मीडिया और स्थानीय खेल जगत में बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया। उनके साथी खिलाड़ियों—इंजमाम खान, शिवम तिवारी, राहुल पटेल और रंजीत चौहान—ने इस उपलब्धि को प्रेरणादायक बताया। वहीं गांव के पूर्व प्रधान राम आशीष, बेचन यादव, दिनेश गौतम, धनंजय यादव लल्लू, संजय यादव, अशोक कनौजिया, श्रीराम यादव और लक्ष्मण यादव सहित कई गणमान्य लोगों ने भी उन्हें शुभकामनाएं दीं।
युवाओं के लिए प्रेरणादायक कहानी
अनुराग की सफलता उन तमाम युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं। उनका सफर यह दर्शाता है कि सही मार्गदर्शन, निरंतर अभ्यास और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर कोई भी खिलाड़ी आगे बढ़ सकता है। अनुराग ने सिद्ध किया है कि प्रतिभा कभी दबती नहीं, बल्कि मेहनत और आत्मविश्वास के साथ वह बड़ी जगह बना ही लेती है।
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