बोलता सच/रामपुर। उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबे समय से विवादों से घिरे समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को एक बार फिर बड़ा कानूनी झटका लगा है। रामपुर की एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट ने सोमवार को फर्जी पैन कार्ड मामले में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को दोषी ठहराते हुए 7-7 साल की सजा सुनाई। सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद अदालत परिसर में मौजूद पुलिस ने दोनों को वहीं से हिरासत में ले लिया। अदालत ने दोनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
यह फैसला उस समय आया है जब आजम खान दो महीने पहले ही सीतापुर जेल से रिहा हुए थे, जबकि उनके बेटे अब्दुल्ला लगभग नौ महीने पहले हरदोई जेल से बाहर आए थे। कोर्ट के इस ताज़ा आदेश के बाद अब दोनों को एक बार फिर जेल की सलाखों के पीछे जाना होगा।
क्या है पूरा मामला?
फर्जी पैन कार्ड से जुड़ा यह मामला वर्ष 2019 में सामने आया था। भाजपा नेता और वर्तमान विधायक आकाश सक्सेना ने रामपुर के सिविल लाइंस थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि आजम खान ने अपने बेटे अब्दुल्ला के लिए दो अलग-अलग जन्मतिथियों के आधार पर पैन कार्ड बनवाए।
आरोप के अनुसार, अब्दुल्ला आजम की वास्तविक जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 है। इस जन्मतिथि के आधार पर 2017 के विधानसभा चुनाव में उनकी उम्र 25 वर्ष नहीं होती, जो चुनाव लड़ने के लिए आवश्यक है। इसी पात्रता के नियम से बचने के लिए एक दूसरा पैन कार्ड तैयार कराया गया, जिसमें जन्म वर्ष 1990 दर्ज कराया गया ताकि अब्दुल्ला चुनाव लड़ सकें।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान उपलब्ध दस्तावेजों और साक्ष्यों के आधार पर दोनों को दोषी पाया।
किन धाराओं में सुनाई गई सजा
अदालत ने दोनों को निम्न धाराओं में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है—
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धारा 467 (फर्जी दस्तावेज तैयार करना) – 7 साल
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धारा 120बी (आपराधिक साजिश) – 1 साल
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धारा 468 (धोखाधड़ी के इरादे से फर्जी दस्तावेज) – 3 साल
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धारा 420 (धोखाधड़ी) – 3 साल
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धारा 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग) – 2 साल
हालांकि सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इस तरह अधिकतम 7 साल की सजा लागू होगी।
दोबारा जेल क्यों जाना पड़ेगा?
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, अगर सजा पांच साल से कम होती, तो आजम खान और उनके बेटे को राहत मिलने की संभावना थी, क्योंकि वे पहले ही कई मामलों में लम्बी अवधि जेल में बिता चुके हैं। लेकिन इस मामले में सजा 7 साल तय होने के कारण तत्काल राहत संभव नहीं है।
अब दोनों के वकील हाई कोर्ट में अपील दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन जब तक उच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिलती, दोनों को न्यायिक हिरासत में ही रहना होगा।
पहले भी मिल चुकी है सजा
यह पहला मामला नहीं है जब आजम खान और उनके बेटे को फर्जी दस्तावेजों के आरोप में दोषी ठहराया गया हो। अक्टूबर 2023 में भी रामपुर की अदालत ने आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला को अब्दुल्ला के फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मामले में 7-7 साल की सजा सुनाई थी।
उस मामले में अब्दुल्ला आजम के शैक्षणिक प्रमाणपत्र में जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 थी, जबकि जन्म प्रमाणपत्र में 30 सितंबर 1990 दर्ज था। अब यह दूसरा मामला है, जिसमें उन्हीं जन्मतिथियों के आधार पर फर्जी पैन कार्ड तैयार करने को लेकर सजा दी गई है।
आकाश सक्सेना ने कहा—“सत्य की जीत”
भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह सत्य और न्याय की जीत है। उन्होंने दावा किया कि आजम खान और उनके परिवार के खिलाफ सभी मामलों में दस्तावेजी साक्ष्य मौजूद हैं, और कानून के अनुसार उन्हें सजा मिलना स्वाभाविक है।
उन्होंने कहा, “जो गलत करेगा, उसे सजा निश्चित रूप से मिलेगी।”
आगे की कानूनी प्रक्रिया
अब अदालत के आदेश के अनुसार, दोनों को न्यायिक हिरासत में भेजा जा रहा है। साथ ही, उनकी कानूनी टीम इस फैसले के खिलाफ 30 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में अपील दायर करेगी। अपील पर सुनवाई और राहत मिलने तक दोनों को जेल में रहना होगा।
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