बोलता सच (नई दिल्ली) : एनडीए समर्थित उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन भारत के नए उपराष्ट्रपति चुने गए हैं। वह जगदीप धनखड़ का स्थान लेंगे। शनिवार को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में राधाकृष्णन ने विपक्षी उम्मीदवार एवं सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी को हराया।
चुनाव में कुल 754 वोट डाले गए, जिनमें से 15 वोट अमान्य घोषित किए गए। शेष मान्य वोटों में राधाकृष्णन को 452 प्रथम वरीयता वोट मिले, जबकि सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए। यह अंतर 150 वोटों का रहा, जो अब तक हुए उपराष्ट्रपति चुनावों में सबसे कम मार्जिन में से एक है।
क्रॉस वोटिंग का असर
मतदान के आंकड़ों से यह भी साफ हुआ कि विपक्षी खेमे से बड़ी संख्या में क्रॉस-वोटिंग हुई। एनडीए के पास कुल 427 वोट और सहयोगी वाईएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों का समर्थन था। यानी अधिकतम 438 वोट मिलने चाहिए थे, लेकिन राधाकृष्णन को 452 वोट मिले। इसका मतलब है कि कम से कम 14 सांसदों ने विपक्ष छोड़कर एनडीए उम्मीदवार को वोट दिया।
कांग्रेस का दावा था कि विपक्षी खेमे के पास 315 वोट थे, लेकिन रेड्डी को केवल 300 वोट ही मिले। इससे यह भी साफ हुआ कि विपक्षी एकजुटता में दरार है।
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर तंज कसते हुए लिखा—“कौन से 15 लोग हमारे लिए वोट डालकर भाग गए?” उन्होंने राहुल गांधी पर भी कटाक्ष किया कि यह चुनाव बैलेट पेपर से हुआ, न कि ईवीएम से।
कौन हैं सी.पी. राधाकृष्णन?
68 वर्षीय राधाकृष्णन लंबे समय से भाजपा से जुड़े रहे हैं और पार्टी के तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद चुने जा चुके हैं। फरवरी 2023 से जुलाई 2024 तक वह झारखंड के राज्यपाल रहे और इस दौरान तेलंगाना एवं पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला।
उनकी पृष्ठभूमि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और जनसंघ से भी जुड़ी रही है। भाजपा ने उन्हें तमिलनाडु से चुनाव में उतारकर दक्षिण भारत में विस्तार की रणनीति भी साधी।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राधाकृष्णन का मिलनसार और सहयोगी स्वभाव उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए उपयुक्त बनाता है। जगदीप धनखड़, जो अक्सर विपक्ष से टकराव के लिए जाने जाते थे, के बाद राधाकृष्णन को चुनना इस बात का संकेत है कि राज्यसभा को अब संतुलन और सौहार्द की आवश्यकता है।
बधाई संदेश
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राधाकृष्णन को बधाई देते हुए एक्स पर लिखा—
“हम आशा करते हैं कि नए उपराष्ट्रपति संसदीय परंपराओं का पालन करेंगे, विपक्ष को समान स्थान और गरिमा देंगे और सत्ता पक्ष के दबाव में नहीं आएंगे। उपराष्ट्रपति का संवैधानिक पद लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा का प्रतीक होना चाहिए।”
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