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एम्स गोरखपुर में फर्जी योग्यता मामले में कार्रवाई तेज, हटाए गए एक्सईएन रिजू रोहित से अतिरिक्त वेतन की वसूली होगी

Bolta Sach News
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Fake qualification in AIIMS Gorakhpur

बोलता सच/एम्स गोरखपुर : एम्स गोरखपुर में अयोग्य पाए जाने के बाद पद से हटाए गए कार्यकारी अभियंता (इलेक्ट्रिकल) रिजू रोहित श्रीवास्तव पर अब आर्थिक कार्रवाई भी तय हो गई है। एम्स प्रशासन ने पुष्टि की है कि रिजू रोहित ने प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए लगभग 18 महीने तक एक्सईएन के वेतनमान का लाभ उठाया था, जबकि उनकी योग्यता इस पद के अनुरूप नहीं थी। अब उनसे इस अवधि में प्राप्त अतिरिक्त वेतन की वसूली की जाएगी।

एम्स प्रबंधन ने पूरे प्रकरण की जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेज दी है, जिसके बाद मंत्रालय उनके मूल विभाग से अतिरिक्त भुगतान की रिकवरी कराएगा। सूत्रों के अनुसार, वेतन वसूली को लेकर मंत्रालय अगले सप्ताह तक औपचारिक पत्राचार शुरू कर सकता है।

एम्स की मीडिया प्रभारी डॉ. आराधना सिंह ने बताया कि रिजू रोहित श्रीवास्तव को संस्थान से आधिकारिक रूप से रिलीव कर दिया गया है। आगे की वित्तीय और विभागीय कार्रवाई स्वास्थ्य मंत्रालय करेगा।


कैसे शुरू हुआ मामला?

रिजू रोहित सीपीडब्लूडी (CPWD) से प्रतिनियुक्ति पर मई 2024 में एम्स गोरखपुर पहुंचे थे और उन्हें कार्यकारी अभियंता (इलेक्ट्रिकल) के पद पर नियुक्त किया गया था। यह पद लेवल-11 का है, जिसका वेतनमान सातवें वेतन आयोग के अनुसार 67,700 से 2,08,700 रुपये तक है।

एम्स में इस पद के लिए नियुक्ति प्रक्रिया 6 सितंबर 2023 को शुरू हुई थी, जिसमें पाँच लोगों ने आवेदन किया था। प्रारंभिक स्क्रीनिंग में एक उम्मीदवार अयोग्य पाया गया, जबकि रिजू रोहित को योग्यता के आधार पर चयनित माना गया। इसके बाद 24 मई 2024 को उनकी नियुक्ति हुई।

हालाँकि कुछ ही महीनों बाद उनकी योग्यता पर सवाल उठाते हुए नवंबर 2024 में शिकायत दर्ज कराई गई। जांच में सामने आया कि सीपीडब्लूडी में उनकी नियुक्ति वर्ष 2015 में ग्रेड-पे 4200 (लेवल-6) पर हुई थी। इस आधार पर स्पष्ट हुआ कि वे लेवल-11 के पद के लिए निर्धारित अनुभव और योग्यता पूरी नहीं करते थे।


शिकायत में गंभीर आरोप

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा को भेजी गई शिकायत में आरोप लगाया गया कि एम्स गोरखपुर में नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएँ हुई हैं। शिकायत के अनुसार:

  • रिजू रोहित लेवल-6 के अधिकारी थे, फिर भी उन्हें सीधे लेवल-11 पर नियुक्त किया गया।

  • प्रतिनियुक्ति से पहले मूल विभाग CPWD ने अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी नहीं किया।

  • चयन प्रक्रिया में योग्यता सत्यापन में लापरवाही बरती गई।

शिकायत के आधार पर एम्स प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मामले की रिपोर्ट तैयार की और सीपीडब्लूडी के बेंगलुरु कार्यालय को विस्तृत जानकारी भेज दी है। एम्स के प्रशासनिक अधिकारी पुनीत चतुर्वेदी ने इस संबंध में एडिशनल डायरेक्टर जनरल को पत्र भी भेजा है।


अगले चरण में होगी वेतन वसूली

रिजू रोहित श्रीवास्तव 18 महीने तक एक्सईएन का वेतनमान लेते रहे थे। अब, चूँकि जांच में उनकी योग्यता संदिग्ध पाई गई और प्रतिनियुक्ति प्रक्रिया भी नियमों के विपरीत थी, इसलिए यह वेतन ‘अतिरिक्त भुगतान’ माना गया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय जल्द ही उनके मूल विभाग से वेतन रिकवरी की प्रक्रिया शुरू करेगा।


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