बोलता सच ,कानपुर। कल्याणपुर थाना क्षेत्र से एक हृदय विदारक मामला सामने आया है। यहां एक बेटे ने संपत्ति और पेंशन की लालच में अपने ही पिता की गला दबाकर हत्या कर दी और शव को दोस्त की मदद से करीब 80 किलोमीटर दूर औरैया जिले में जलाकर ठिकाने लगा दिया। यह पूरा मामला किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। पुलिस ने लगभग छह महीने बाद इस हत्याकांड का राजफाश किया और आरोपी बेटे रामजी तिवारी तथा उसके दोस्त ऋषभ शुक्ला को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
छह महीने तक छिपा रहा राज
पुलिस अधिकारियों ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता में बताया कि मृतक की पहचान कमलापति तिवारी (62 वर्ष) के रूप में हुई, जो भारतीय रेल से गार्ड पद पर बिहार से सेवानिवृत्त हुए थे। वह कल्याणपुर पुराना शिवली रोड स्थित मकान में अकेले रहते थे। उनकी पत्नी मधु धार्मिक प्रवृत्ति की हैं और अक्सर वृंदावन-मथुरा की यात्रा पर रहती हैं। बड़ा बेटा रामजी तिवारी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ नारामऊ में ससुराल पक्ष के घर पर रहता था, जबकि छोटा बेटा श्यामजी शिक्षक है और सनिगवां क्षेत्र में अपने परिवार के साथ रहता है।
15 मार्च 2025 को कमलापति तिवारी अचानक घर से गायब हो गए। जब उनकी पत्नी धार्मिक यात्रा से लौटकर मई में घर पहुंचीं तो रामजी ने बताया कि पिता कहकर गए थे कि वे बिहार जा रहे हैं। इसके बाद उनका मोबाइल भी बंद हो गया। परिजनों ने रिश्तेदारों से संपर्क किया, लेकिन कहीं से कोई खबर नहीं मिली। अंततः पत्नी ने 12 जून 2025 को कल्याणपुर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
औरैया से मिला जला हुआ शव
पुलिस ने मोबाइल की अंतिम लोकेशन ट्रेस की तो वह बिहार के मधुबनी जिले के जयनगर क्षेत्र की निकली। स्थानीय पुलिस से जानकारी मांगी गई, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। इसी बीच पुलिस ने आसपास के जिलों में लावारिस शवों की तलाश शुरू की। जांच में पता चला कि 18 मार्च को औरैया जिले के बेला क्षेत्र में नहर किनारे एक जला हुआ शव मिला था। शव का फोटो पत्नी मधु को दिखाया गया तो उन्होंने पुष्टि की कि यह उनके पति का ही शव है।
बेटे और दोस्त पर टूटा शक
शुरुआती जांच में पुलिस का शक बेटे रामजी तिवारी पर गया। पड़ोसियों ने भी बताया कि पिता के लापता होने के बाद रामजी अपने परिवार के साथ शिवली रोड वाले मकान में रहने लगा था। पुलिस ने घर की तलाशी ली तो वहां से कमलापति तिवारी का मोबाइल बरामद हुआ। इसके बाद पुलिस ने रामजी और उसके दोस्त ऋषभ शुक्ला (निवासी माधवपुरम आईआईटी सोसाइटी) को हिरासत में लिया।
फिल्म देखकर रची साजिश
पूछताछ में दोनों ने जुर्म स्वीकार कर लिया। रामजी ने बताया कि उसने पिता को ठिकाने लगाने का आइडिया फिल्मों से लिया। उसने “दृश्यम” फिल्म देखकर शव ठिकाने लगाने की योजना बनाई और “क्राइम पेट्रोल” देखकर दोस्त ऋषभ को मोबाइल के साथ बिहार भेजा, ताकि पुलिस को लोकेशन गलत मिले। ऋषभ ने बिहार जाकर मोबाइल ऑन किया और कॉल की, जिससे लोकेशन मधुबनी की आ गई। पुलिस भी इस चक्कर में काफी समय तक उलझी रही।
हत्या की रात की कहानी
कल्याणपुर इंस्पेक्टर अजय प्रकाश मिश्रा के अनुसार 17 मार्च की रात जब कमलापति घर में अकेले थे, तभी रामजी और ऋषभ पहुंचे। दोनों ने गला दबाकर उनकी हत्या कर दी। फिर शव को कार में डालकर औरैया जिले के बेला क्षेत्र तक ले गए। वहां उन्होंने पहचान मिटाने के लिए कमलापति के सारे कपड़े उतार दिए, केवल अंडरवियर छोड़ दिया। इसके बाद शव पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी और चेहरे पर पेट्रोल से भरी पॉलिथीन बांध दी। आग लगते ही तेज रोशनी हुई तो दोनों घबरा गए और तुरंत वहां से भाग निकले। अगले दिन बेला पुलिस ने लावारिस शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था।
क्यों रची हत्या की साजिश?
डीसीपी पश्चिम दिनेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि रामजी तिवारी की नजर पिता की पेंशन और शिवली रोड स्थित आठ दुकानों से होने वाली मोटी आय पर थी। पिता नशे के आदी थे और अक्सर बहू का अपमान करते थे। इस कारण परिवार में कलह रहती थी। छोटा बेटा उनसे दूरी बनाकर अलग रहने लगा था। रामजी का मानना था कि पिता सारी आय खुद रख रहे हैं और उनके परिवार की जरूरतों की अनदेखी कर रहे हैं। इसी लालच और गुस्से ने उसे हत्या जैसे घिनौने अपराध की ओर धकेल दिया।
पुलिस को लंबे समय तक छकाया
रामजी ने षड्यंत्र रचते हुए हत्या के बाद पिता का मोबाइल दोस्त ऋषभ को दे दिया और उसे बिहार भेजा। दो दिन तक मोबाइल वहां एक्टिव रहा, जिससे पुलिस को लगा कि कमलापति बिहार गए हैं। इस दौरान पुलिस ने कई बार बिहार पुलिस से संपर्क भी किया। लेकिन आखिरकार जब औरैया में मिले शव का फोटो पत्नी को दिखाया गया और उसने पहचान कर ली, तब सारा रहस्य धीरे-धीरे खुलने लगा।
तकनीक से हुए बेनकाब
हालांकि शव को औरैया तक ले जाने के बावजूद दोनों किसी सीसीटीवी कैमरे में कैद नहीं हुए। पुलिस ने तकनीकी जांच के आधार पर मोबाइल की डिटेल खंगाली और फिर संदेह के घेरे में आए बेटे व उसके दोस्त को गिरफ्तार किया। यही पूछताछ के दौरान दोनों ने पूरी सच्चाई कबूल की।
जेल भेजे गए आरोपी
शुक्रवार को दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। पुलिस का कहना है कि मामले में इस्तेमाल वाहन और अन्य सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं। अधिकारियों ने साफ किया कि लालच में की गई यह हत्या समाज के लिए एक बड़ी सीख है।
नशे और संपत्ति के लालच ने छीनी जान
कमलापति तिवारी का जीवन रेलवे से सेवानिवृत्ति के बाद परिवार को संपत्ति के बल पर सुरक्षित भविष्य देने का था। लेकिन नशे की लत और पारिवारिक कलह के चलते उनके ही बेटे ने जीवन छीन लिया। यह मामला न केवल पुलिस की मेहनत का परिणाम है, बल्कि यह बताता है कि लालच इंसान को किस हद तक गिरा सकता है।
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