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मासूम बच्ची की बलि की आशंका में नया मोड़: डीएनए जांच के लिए मिट्टी व अवशेष भेजे गए

Bolta Sach News
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innocent girl sacrificed
बोलता सच देवरिया : बरहज/भलुअनी। क्षेत्र के पटखौली वार्ड निवासी योगेश कुमार गोंड़ का नौ वर्षीय पुत्र आरुष गोंड़ 16 अप्रैल की शाम को रहस्यमय ढंग से लापता हो गया था। तीन माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उसका कोई सुराग नहीं मिलने पर परिवार वालों ने हाईकोर्ट की शरण ली।
हाईकोर्ट के सख्त रुख और निर्देश के बाद पुलिस और एसओजी हरकत में आ गई है। मंगलवार को एसओजी व भलुअनी पुलिस की संयुक्त टीम एक आरोपी की निशानदेही पर सदर कोतवाली क्षेत्र के पिपरा चंद्रभान के बलुआ छापर क्षेत्र में खोदाई करने पहुंची।
परिवार वाले आशंका जता रहे हैं कि आरुघ की बलि चढ़ा दी गई है। जानकारी के अनुसार, खोदाई की यह प्रक्रिया एक डिग्री कॉलेज के पास की गई, जहां जमीन को बैरिकेड कर सुरक्षा व्यवस्था के बीच पुलिस और फॉरेंसिक टीम ने खोदाई की। हालांकि, खोदाई के दौरान कोई स्पष्ट सामग्री नहीं मिली, मगर संदेहास्पद मिट्टी के नमूने डीएनए जांच के लिए भेजे गए हैं, ताकि किसी भी आशंका की पुष्टि की जा सके। इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस ने आरुष के तीन करीबी रिश्तेदारों को हिरासत में लिया है। इनमें एक महिला (बुआ), उसका पति (फूफा), और एक सोखा (तांत्रिक प्रवृत्ति का शख्स) शामिल है।
पुलिस का मानना है कि इन्हीं लोगों से पूछताछ के आधार पर खोदाई का निर्णय लिया गया। बताया जा रहा है कि गोंडा जिले में रहने वाले आरुष के एक अन्य रिश्तेदार, जो उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा में हैं, उन्हें भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है। स्थानीय लोगों के बीच मासूम के बलि देने की आशंका से भय का माहौल बना हुआ है। पूरे गांव में चर्चा है कि मासूम के लापता होने की घटना सामान्य नहीं है।
इसके पीछे किसी तंत्र-मंत्र या तांत्रिकक्रिया की साजिश हो सकती है। हालांकि, पुलिस अब तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची है और जांच को गोपनीय रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है। आरुष की मां और पिता का कहना है कि तीन माह से उनके बेटे का कोई सुराग नहीं लगना यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं मामले में गहरी साजिश छिपी है।

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