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22 सितंबर से बीमा कंपनियों को बड़ा झटका: स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों पर नहीं मिलेगा ITC लाभ

Bolta Sach News
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Insurance companies from September 22
बीमा कंपनियों के लिए बड़ा बदलाव होने जा रहा है। 22 सितंबर 2025 से व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों पर कमीशन और ब्रोकरेज जैसे इनपुट्स पर चुकाए गए जीएसटी का इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) अब नहीं मिलेगा। यह फैसला केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने लिया है और इसकी जानकारी मंगलवार को दी गई।

क्या बदल रहा है?
  • अब तक बीमा कंपनियां एजेंटों को दिए जाने वाले कमीशन, ब्रोकरेज और पुनर्बीमा (Reinsurance) जैसी सेवाओं पर दिए गए GST का ITC क्लेम कर सकती थीं।
  • 22 सितंबर से केवल Reinsurance सेवाओं पर ITC छूट जारी रहेगी।
  • बाकी सभी इनपुट सेवाओं पर चुकाया गया टैक्स कंपनियों की सीधी लागत बन जाएगा, जो अब रिफंड नहीं होगा।

इस फैसले की पृष्ठभूमि
  • 3 सितंबर को हुई GST काउंसिल की बैठक में स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों पर लगने वाला 18% जीएसटी खत्म करने का निर्णय लिया गया था।
  • सरकार का उद्देश्य है कि इस टैक्स छूट का सीधा लाभ ग्राहकों को मिले, ताकि पॉलिसी प्रीमियम सस्ते हों।

किन सेवाओं पर नहीं मिलेगा ITC?
  • व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों पर एजेंट कमीशन और ब्रोकरेज
  • होटल, ब्यूटी, वेलनेस सेक्टर जैसी 5% टैक्स वाली सेवाएं, जहां पहले से ITC की अनुमति नहीं है

विशेषज्ञों की राय
राजत मोहन, सीनियर पार्टनर, एएमआरजी एंड एसोसिएट्स:
“जब कोई सेवा 5% या शून्य कर दर पर बिना ITC के आती है, तो ये तकनीकी रूप से ऐसी सप्लाई को छूट वाली सेवा जैसा बना देती है। इससे कर बोझ तो उपभोक्ता से हटता है, लेकिन कंपनियों की लागत बढ़ती है।”

बदलाव का उद्देश्य
  • उपभोक्ताओं पर कर का बोझ कम करना
  • जीएसटी अनुपालन को सरल बनाना
  • दोहरी कर संरचना से बचना (जहां एक ओर छूट दी जाए और दूसरी ओर ITC क्लेम किया जाए)

बीमा कंपनियों के लिए प्रभाव
पक्ष प्रभाव
✅ ग्राहक बीमा पॉलिसी पर टैक्स नहीं देना पड़ेगा
❌ बीमा कंपनियां एजेंट कमीशन व अन्य इनपुट्स पर ITC नहीं ले पाएंगी
💸 लागत कंपनियों को एम्बेडेड टैक्स लागत वहन करनी होगी
⚖️ संचालन ITC का विभाजन और रिकॉर्डिंग करना होगा अधिक सटीकता से
22 सितंबर के बाद बीमा कंपनियों की कुल लागत बढ़ेगी, लेकिन इसका फायदा सीधे पॉलिसी धारकों को मिलेगा, क्योंकि प्रीमियम पर जीएसटी नहीं लगेगा। हालांकि, कंपनियों को अब अपनी लागत संरचना और कमीशन मॉडल पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।

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