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न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार जांच तेज, दो वरिष्ठ वकील समिति में शामिल

Bolta Sach News
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Justice Yashwant Verma

बोलता सच : इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार और नकदी मामले की जांच अब तेज़ हो गई है। न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच कर रही समिति की सहायता के लिए दो वरिष्ठ वकीलों – रोहन सिंह और समीक्षा दुआ को सलाहकार के रूप में नामित किया गया है। दोनों की नियुक्ति समिति के कार्यकाल तक प्रभावी रहेगी।


पृष्ठभूमि: नकदी कांड और जली हुई नोटों की बरामदगी
14 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा के सरकारी आवास पर जली हुई नोटों की गड्डियां बरामद की गई थीं। इस घटना के बाद पूरे न्यायिक तंत्र में हलचल मच गई। उस समय जस्टिस वर्मा दिल्ली उच्च न्यायालय में कार्यरत थे। बाद में उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया।

जांच समिति का गठन और प्रगति
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने विपक्ष द्वारा लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की। इस समिति में शामिल हैं:
  • सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अरविंद कुमार
  • मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव
  • वरिष्ठ अधिवक्ता बीवी आचार्य
अब समिति को और अधिक कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए दो वकीलों की नियुक्ति की गई है।

जांच की अहम जानकारियाँ
  • घटना स्थल का निरीक्षण 14 मार्च रात 11:35 बजे किया गया।
  • जांच समिति ने 55 गवाहों से पूछताछ की।
  • यह पाया गया कि जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास में संभावित रूप से जानबूझकर आग लगाई गई, जिसके बाद जली हुई नकदी बरामद हुई।

सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति को रिपोर्ट
  • 7 अगस्त, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने जांच समिति की वैधता को मंजूरी दी।
  • इस रिपोर्ट के आधार पर भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजय खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर महाभियोग प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश की।

न्यायिक जवाबदेही पर फिर से बहस
यह मामला भारतीय न्यायपालिका में जवाबदेही और पारदर्शिता को लेकर एक बार फिर बहस के केंद्र में ले आया है। यदि महाभियोग की प्रक्रिया आगे बढ़ती है, तो यह देश में किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के विरुद्ध दुर्लभ कानूनी कार्रवाई का उदाहरण होगा।

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