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पूर्वोत्तर भारत अब देश का ‘अग्रिम चेहरा’: प्रधानमंत्री मोदी

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Northeast India is now the country's

बोलता सच /नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत की केवल सीमा नहीं, बल्कि अब यह देश का अग्रिम चेहरा बन गया है। पीएम मोदी ने यह टिप्पणी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया के एक लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए की, जिसमें उन्होंने अपनी पूर्वोत्तर यात्रा के अनुभव साझा किए थे।


पीएम मोदी ने किया सिंधिया के लेख का उल्लेख

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा,

“केंद्रीय मंत्री जे.एम. सिंधिया ने अपने आर्टिकल में पूर्वोत्तर की सुंदरता और वहां के लोगों की अटूट भावना का वर्णन किया है। उन्होंने पूर्वोत्तर को ‘अष्टलक्ष्मी’ बताते हुए बताया कि कैसे यह दक्षिणपूर्व एशिया के लिए भारत का प्राकृतिक गेटवे बन रहा है। पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत की सीमा ही नहीं, बल्कि देश का अग्रिम चेहरा है।”


सिंधिया ने पूर्वोत्तर की अदम्य भावना की प्रशंसा की

अपने लेख में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लिखा,

“पूर्वोत्तर की मनमोहक सुंदरता की बराबरी केवल यहां के लोगों की गर्मजोशी, सादगी और अदम्य साहस से ही की जा सकती है। इस यात्रा ने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी है और मैं इस क्षेत्र की प्रगति और समृद्धि के लिए और भी अधिक समर्पण के साथ कार्य करने का संकल्प लेकर लौटा हूं।”


लैंडलॉक’ से ‘लैंडलिंक्ड’ बनता पूर्वोत्तर

सिंधिया ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर को संपर्क, संस्कृति और वाणिज्य के एक जीवंत केंद्र में बदल रही है।
उन्होंने लिखा,

“अगर प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शी सोच और चुनौतियों को अवसरों में बदलने की क्षमता न होती, तो आशा और संभावनाओं का यह पुनरुत्थान संभव नहीं होता। आज पूर्वोत्तर ‘लैंडलॉक’ से ‘लैंडलिंक्ड’ बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।”


ग्रामीण आजीविका में बदलाव का उदाहरण: मशरूम विकास केंद्र

सिंधिया ने अपने अपर शिलांग दौरे का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने वहां स्थित मशरूम विकास केंद्र का निरीक्षण किया।
यह केंद्र 1982 में उत्तर पूर्वी परिषद के तहत स्थापित हुआ था और अब शिटाके मशरूम उत्पादन एवं प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित हो चुका है।
यह केंद्र हर साल लगभग 1.5 लाख लकड़ी के बुरादे के ब्लॉक तैयार करता है, जिनमें से प्रत्येक से एक किलो मशरूम प्राप्त होता है जिसकी बाजार कीमत करीब ₹1,000 होती है।

सिंधिया ने कहा,

“संख्याओं से अधिक प्रभावित करने वाली बात थी उन किसानों की आंखों में चमक, जिन्होंने गर्व से बताया कि कैसे यह पहल सम्मानजनक आजीविका और हरित उद्यमिता को बढ़ावा दे रही है। यह प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित आत्मनिर्भर पूर्वोत्तर की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”


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