बोलता सच ,नई दिल्ली: पूर्व अमेरिकी राजदूत जेफ्री पायट ने कहा है कि अमेरिकी कंपनियाँ ‘चीन प्लस वन’ रणनीति तब तक प्रभावी रूप से लागू नहीं कर सकतीं, जब तक उनकी भारत में मजबूत उपस्थिति न हो। उन्होंने यह भी माना कि ऊर्जा सहयोग अमेरिका-भारत संबंधों को स्थिर बनाने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है, खासकर तब जब नीतिगत बदलाव और रूस से भारत की तेल खरीद जैसे मुद्दों पर दोनों देशों में मतभेद मौजूद हों।
हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में पायट ने कहा, “अमेरिका-भारत रणनीतिक संबंधों को दोबारा सही दिशा में लाना बेहद जरूरी है। भले ही व्यापारिक मुद्दों पर असहमति हो, लेकिन ऊर्जा सहयोग इस दूरी को कम करने की कुंजी है।”
रूस से भारत की तेल खरीद—पृष्ठभूमि
पायट, जो बाइडेन प्रशासन में ऊर्जा संसाधनों के लिए सहायक विदेश मंत्री थे, ने स्पष्ट किया कि दिसंबर 2022 में अमेरिका द्वारा लागू प्राइस कैप (मूल्य-सीमा) के बाद भारत ने रूसी तेल खरीद में तेजी लाई।
उनके अनुसार, प्राइस कैप से पहले भारत रूसी ईंधन का बेहद कम खरीदार था, लेकिन वैश्विक कीमतों को स्थिर रखने के लिए बनाई गई इस व्यवस्था के बाद भारत ने रूस से बड़ी मात्रा में तेल लेना शुरू किया।
उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन के दौरान नीति संकेतों में अचानक आए बदलाव ने भारत में विश्वास की कमी पैदा की, क्योंकि फैसले कई बार बिना पर्याप्त स्पष्टीकरण के बदल जाते थे।
कंपनियों के कदम और बदलता परिदृश्य
पायट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा जामनगर की एक्सपोर्ट-ओनली रिफाइनरी में रूसी तेल का आयात बंद करने के फैसले को “महत्वपूर्ण कदम” बताया।
इसके अलावा, भारत द्वारा अमेरिका से दीर्घकालिक एलपीजी आयात अनुबंध करने को उन्होंने दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग का मजबूत संकेत बताया। यह अनुबंध भारत की वार्षिक एलपीजी जरूरतों का 10% पूरा करेगा।
व्यापार वार्ता पर प्रभाव
जब उनसे पूछा गया कि यह डेवलपमेंट्स भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को कैसे प्रभावित करेंगे, तो पायट ने कहा कि इससे दोनों देशों के बीच विश्वास बहाल होगा।
उन्होंने कहा, “अमेरिकी कंपनियाँ भारत में अपनी सफलता को अपनी वैश्विक रणनीति का हिस्सा मानती हैं। ‘चाइना प्लस वन’ रणनीति भारत में मजबूत उपस्थिति के बिना संभव ही नहीं है।”
हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि व्यापार वार्ता कब सफल होगी, इसका अनुमान लगाना अभी कठिन है, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि दोनों देश कठिन मुद्दों पर बातचीत आगे बढ़ा रहे हैं।
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