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भारत की प्रसिद्ध साड़ी पहनने की शैलियाँ: आटपौरे से नवी तक का सफर

Bolta Sach News
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भारत की पारंपरिक वेशभूषा की बात हो और साड़ी का जिक्र न हो, ऐसा संभव ही नहीं है। साड़ी न केवल भारतीय संस्कृति का प्रतीक है बल्कि हर क्षेत्र की अपनी अलग साड़ी पहनने की शैली भी है। यही कारण है कि देशभर में एक ही परिधान को अलग-अलग तरीके से पहनकर महिलाएँ अपनी पहचान और परंपरा को जीवित रखती हैं। आइए जानते हैं भारत की कुछ प्रमुख साड़ी पहनने की शैलियों के बारे में –


1. आटपौरे शैली (Aatpoure Style – बंगाल)

आटपौरे बंगाली महिलाओं की पारंपरिक शैली है। इस साड़ी में पल्लू दोनों कंधों पर डाला जाता है और आगे की ओर इसका किनारा लटकता है। दुर्गा पूजा और शादी-ब्याह जैसे अवसरों पर बंगाली महिलाएँ अक्सर इसी तरह साड़ी पहनती हैं। सफेद या लाल बॉर्डर वाली साड़ी इस स्टाइल में सबसे लोकप्रिय मानी जाती है।


2. नवी ड्रेप (Nivi Style – आंध्र प्रदेश)

नवी या नवी ड्रेप आज के दौर में सबसे अधिक प्रचलित साड़ी पहनने का तरीका है। इसमें साड़ी का पल्लू बाईं ओर कंधे पर रखा जाता है और सामने प्लेट्स बनाई जाती हैं। यह स्टाइल न केवल सुंदर दिखता है बल्कि आरामदायक भी है, इसलिए अधिकतर महिलाएँ इसे रोज़मर्रा और ऑफिस वेयर के रूप में चुनती हैं।


3. मराठी नौवारी साड़ी (Nauvari Saree – महाराष्ट्र)

मराठी नौवारी साड़ी विशेष रूप से 9 गज की होती है और इसे धोती शैली में पहना जाता है। यह महिलाओं को स्वतंत्र रूप से चलने और काम करने की सुविधा देती है। गणेशोत्सव, गुढ़ीपाड़वा और पारंपरिक नृत्य-नाटकों में इसे प्रमुखता से देखा जाता है।


4. मेकला चादोर (Mekhela Chador – असम)

असम में पहनी जाने वाली मेकला-चादोर साड़ी से थोड़ी भिन्न होती है। इसमें दो हिस्से होते हैं—नीचे का भाग ‘मेकला’ और ऊपर का ‘चादोर’। इसे रेशम या मोगा सिल्क से बनाया जाता है और असम की पहचान मानी जाती है।


5. कोर्गी शैली (Coorgi Style – कर्नाटक)

कर्नाटक के कोर्ग क्षेत्र की महिलाएँ साड़ी को पीछे से पल्लू आगे लाकर पहनती हैं। इस स्टाइल में पल्लू को आगे की ओर पिन किया जाता है जिससे यह काफी अलग और अनूठा दिखता है। यह शैली पर्वतीय इलाकों में काम करने और चलने-फिरने में सुविधाजनक मानी जाती है।


6. गुजराती शैली (Gujarati Style)

गुजरात में साड़ी पहनने का अंदाज़ बाकी राज्यों से अलग है। इसमें पल्लू दाईं ओर से आगे लाकर छाती पर फैलाया जाता है। यह स्टाइल गरबा और शादी के अवसरों पर विशेष रूप से लोकप्रिय है। भारी कढ़ाईदार या बंधेज साड़ियाँ इस ड्रेपिंग स्टाइल में बेहद आकर्षक लगती हैं।


7. मदिसर साड़ी (Madisar Saree – तमिलनाडु/ब्राह्मण समुदाय)

तमिलनाडु में ब्राह्मण महिलाएँ मदिसर साड़ी पहनती हैं। यह 9 गज लंबी साड़ी विशेष पद्धति से बाँधी जाती है और धार्मिक अनुष्ठानों में अनिवार्य मानी जाती है। इसे पहनने के बाद यह पैंट जैसी सुविधा भी देती है।


निष्कर्ष

भारत में साड़ी पहनने की हर शैली किसी न किसी क्षेत्र की परंपरा और संस्कृति से जुड़ी हुई है। आटपौरे की शालीनता हो, नवी की सादगी, या नौवारी की ऊर्जा—हर एक स्टाइल भारतीयता की झलक दिखाती है। यही विविधता भारत की पहचान है और साड़ी इसका सबसे सुंदर उदाहरण।

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