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रात भर जागना और देर से उठना कर रहा आपकी जैविक घड़ी को ख़राब, जानें क्यों ज़रूरी है सर्कैडियन रिदम का संतुलन

Bolta Sach News
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(बोलता सच न्यूज़):  आज की डिजिटल जीवनशैली में देर रात तक टीवी देखना, मोबाइल चलाना, देर से सोना और फिर सुबह देर से उठना आम बात हो गई है। ये आदतें हमारी जैविक घड़ी यानी सर्कैडियन रिदम को गड़बड़ा रही हैं। इसका सीधा असर हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है, लेकिन थोड़ी सावधानी और नियमितता से इस स्थिति को सुधारा जा सकता है।
क्या है जैविक घड़ी यानी सर्कैडियन रिदम?
हमारा शरीर एक आंतरिक समय-सारिणी के अनुसार चलता है, जिसे सर्कैडियन रिदम कहा जाता है। यह 24 घंटे का एक चक्र होता है जो तय करता है कि कब हमें नींद आएगी, कब भूख लगेगी और किस समय हमारा ऊर्जा स्तर सबसे अधिक या कम होगा। सूरज की रोशनी और अंधकार इसके प्रमुख संकेतक हैं। जैसे ही सुबह की रोशनी आंखों पर पड़ती है, शरीर जागने लगता है। वहीं अंधेरा होते ही मेलाटोनिन नामक हॉर्मोन का स्राव बढ़ता है, जो नींद लाने में मदद करता है।

कैसे बिगड़ती है यह लय?

1. रात में स्क्रीन टाइम का असर

मोबाइल, लैपटॉप और टीवी से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन के स्राव को रोक देती है, जिससे नींद में देरी होती है। इसके अलावा सोशल मीडिया या वेब सीरीज़ की उत्तेजक सामग्री दिमाग को ज़्यादा एक्टिव रखती है, जिससे नींद आना और मुश्किल हो जाता है।

एक शोध के अनुसार, जो लोग सोने से एक घंटे पहले तक मोबाइल इस्तेमाल करते हैं, उनमें नींद की गुणवत्ता खराब होने की आशंका 7.5 गुना अधिक होती है।

2. वीकेंड और वीकडेज़ का अलग शेड्यूल

सप्ताह के दिनों और वीकेंड पर अलग-अलग सोने और जागने की आदतों से सोशल जेटलैग होता है। यह शरीर की आंतरिक घड़ी को भ्रमित करता है, जिससे नींद की लय और एनर्जी लेवल प्रभावित होते हैं। यह समस्या खासकर कॉलेज छात्रों और युवाओं में अधिक देखने को मिलती है।


लय बिगड़ने से होते हैं ये नुकसान

  • नींद का समय तय नहीं रहना, बार-बार नींद का टूटना

  • दिनभर थकान, चिड़चिड़ापन और ध्यान की कमी

  • मानसिक समस्याएं जैसे- तनाव, अवसाद, मूड स्विंग्स

  • शारीरिक समस्याएं जैसे- मोटापा, डायबिटीज़, हृदय रोग

  • अपच, एसिडिटी और भूख का असंतुलन

  • इम्युनिटी का कमजोर होना


कैसे ठीक करें बिगड़ी हुई जैविक घड़ी?

  • रोज़ एक ही समय पर सोने और उठने की आदत डालें—even छुट्टी के दिनों में भी।

  • सुबह कुछ समय सूरज की रोशनी में बिताएं, ताकि शरीर को “दिन शुरू” होने का संकेत मिले।

  • सोने से कम से कम एक घंटे पहले सभी स्क्रीन बंद कर दें।

  • सोने का कमरा शांत, अंधेरा और ठंडा रखें।

  • हल्का व्यायाम करें, लेकिन सोने से ठीक पहले भारी एक्सरसाइज़ न करें।

  • समय पर और संतुलित भोजन लें। सुबह 8 से रात 8 बजे के बीच भोजन करना आदर्श माना जाता है।

  • रात को सोने से 2-3 घंटे पहले भोजन कर लें और कैफीन या भारी भोजन से बचें।


डॉक्टर से कब मिलें?

यदि लगातार कई दिनों से आपको ठीक से नींद नहीं आ रही है, नींद टूटती है, या नींद बहुत देर से आती है, तो यह सर्कैडियन रिदम स्लीप डिसऑर्डर हो सकता है। यह समस्या शिफ्ट वर्क करने वाले लोगों में आम है। ऐसे मामलों में विशेषज्ञ की सलाह लेना बेहद ज़रूरी है।


निष्कर्ष

जैविक घड़ी का संतुलन सिर्फ नींद नहीं, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य का आधार है। आज के डिजिटल युग में यह संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन कुछ आदतों में बदलाव कर हम फिर से अपनी जीवनशैली को स्वस्थ बना सकते हैं।

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