बोलता सच : भारतीय टेस्ट टीम के हालिया प्रदर्शन को लेकर सवाल लगातार गहराते जा रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ गुवाहाटी टेस्ट में मिली कठिनाई और खिलाड़ियों की गिरती मानसिक मजबूती पर पूर्व भारतीय क्रिकेटर श्रीवत्स गोस्वामी ने बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि मौजूदा टीम में वह जुनून, आक्रामकता और “जीत की मानसिकता” नहीं दिख रही, जो कभी विराट कोहली के दौर में टीम की पहचान मानी जाती थी।
“विराट की मानसिकता की कमी महसूस हो रही है”
गोस्वामी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि कोहली को टेस्ट क्रिकेट नहीं छोड़ना चाहिए था। उन्होंने कहा,
“विराट कोहली को वनडे छोड़कर टेस्ट क्रिकेट खेलना जारी रखना चाहिए था। टेस्ट क्रिकेट उन्हें मिस कर रहा है — बतौर खिलाड़ी नहीं, बल्कि उस जुनून और ऊर्जा के लिए जिससे उन्होंने टीम को भरोसा दिलाया कि भारत कहीं भी जीत सकता है।”
उनका दावा है कि मौजूदा टेस्ट टीम में वह एटिट्यूड, फायर और आत्मविश्वास नजर नहीं आता, जो कोहली लगातार टीम में इंजेक्ट करते थे।
नतीजे भी गिरावट की ओर इशारा करते हैं
भारत का घरेलू परिस्थितियों में संघर्ष करना अपने आप में बेहद असामान्य है।
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न्यूजीलैंड के खिलाफ 0-3 की व्हाइटवॉश हार (2024)
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फिर शुभमन गिल की कप्तानी में वेस्टइंडीज पर 2-0 की जीत
इन परिणामों ने टीम की अस्थिरता को उजागर किया है।
इसके बावजूद टीम की लय फिर टूट गई।
कोलकाता में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शर्मनाक हार के बाद गुवाहाटी टेस्ट में भारतीय टीम पहली पारी में सिर्फ 201 रन पर ढेर हो गई, जबकि दक्षिण अफ्रीका ने 489 रन का विशाल स्कोर बनाया। खबर लिखे जाने तक दक्षिण अफ्रीका 320+ रन की बढ़त के साथ मैच पर मजबूत पकड़ बनाए हुए था।
कोहली युग की मजबूत छाप
विराट कोहली की कप्तानी के दौरान भारत ने टेस्ट क्रिकेट में बड़ा परिवर्तन देखा। उनके नेतृत्व में भारत ने—
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68 में से 40 टेस्ट मैच जीते
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घरेलू मैदान पर सिर्फ 2 मैच हारे
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टीम में फिटनेस संस्कृति, तेज गेंदबाजी और “जीत के लिए खेलो” मानसिकता को बढ़ावा दिया
कोहली के नेतृत्व में भारत सिर्फ मैच खेलने नहीं, बल्कि जीतने के इरादे से मैदान में उतरता था।
टीम को सिर्फ रन नहीं, रवैया भी चाहिए
इस वर्ष कोहली ने 123 टेस्ट और 9,230 रन के बाद टेस्ट क्रिकेट से विराम लिया।
गोस्वामी का कहना है कि भारतीय टीम को सिर्फ एक “रन मशीन” की जरूरत नहीं है, बल्कि ऐसे लीडर की जरूरत है जो ड्रेसिंग रूम में फिर से वही जुनून, वही आक्रामकता और वही जीत की आग जला सके।
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