Breaking News

कर्नाटक हाईकोर्ट ने सरकार को झटका दिया, सार्वजनिक जगहों पर निजी संगठनों की गतिविधियों पर रोक के आदेश के खिलाफ अपील खारिज

Bolta Sach News
|
The Karnataka High Court directed the government

बोलता सच : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को उस मामले में बड़ा झटका दिया है, जिसमें उसने सार्वजनिक स्थलों पर निजी संगठनों की गतिविधियों को सीमित करने वाले आदेश के खिलाफ दी गई सिंगल जज बेंच की रोक को चुनौती दी थी। जस्टिस एस. जी. पंडित और जस्टिस गीता के. बी. की खंडपीठ ने सरकार की अपील खारिज करते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस मामले में राहत के लिए उसी सिंगल जज से संपर्क करना चाहिए, जिन्होंने पहले आदेश पर रोक लगाई थी।

विवाद की जड़ क्या है?

कर्नाटक सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी किया था, जिसके तहत सार्वजनिक जगहों पर किसी भी निजी संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम, रैली या जुलूस के लिए सरकार से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया था। आदेश में यह भी कहा गया था कि बिना अनुमति के आयोजित कार्यक्रम भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत गैरकानूनी माने जाएंगे।

हालांकि आदेश में किसी संगठन का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया गया था, लेकिन माना जा रहा था कि इसका उद्देश्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) जैसी दक्षिणपंथी संगठनों की रूट मार्च और सार्वजनिक गतिविधियों पर नियंत्रण लगाना था।

सिंगल जज ने 28 अक्तूबर को लगाई थी रोक

28 अक्तूबर को सिंगल जज की पीठ ने इस सरकारी आदेश को लागू करने पर रोक लगा दी थी। सुनवाई के दौरान अदालत ने सवाल उठाया था कि “अगर लोग एक साथ चलना चाहते हैं, तो क्या इसे रोका जा सकता है?” अदालत ने माना कि सरकार का आदेश अत्यधिक व्यापक है और आम नागरिकों की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।

सरकार की दलील और हाईकोर्ट का रुख

राज्य सरकार ने इस आदेश पर लगी रोक को हटाने के लिए दो जजों की बेंच में अपील दायर की थी। सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने तर्क दिया कि आदेश का उद्देश्य केवल संगठित रैलियों और जुलूसों को नियंत्रित करना है, न कि सामान्य या अनौपचारिक सार्वजनिक गतिविधियों को। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार पहले ही विरोध प्रदर्शन के लिए फ्रीडम पार्क और खेल आयोजनों के लिए कांतीरवा स्टेडियम जैसे स्थलों को निर्धारित कर चुकी है।

वहीं, सरकार के आदेश को चुनौती देने वाले संगठनों — पुनश्चेतना सेवा संस्था और वी केयर फाउंडेशन — की ओर से वरिष्ठ वकील अशोक हरनाहल्ली ने तर्क दिया कि सरकार की अपील सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर इस नियम को लागू किया गया तो यहां तक कि “क्रिकेट खेलने वाले लोगों के समूह को भी रोजाना अनुमति लेनी पड़ेगी।”

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने सरकार की अपील को खारिज कर दिया और कहा कि राज्य चाहे तो सिंगल जज के समक्ष जाकर आदेश पर लगी रोक को हटाने का अनुरोध कर सकता है।

सिंगल जज के समक्ष इस मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को प्रस्तावित है, जिसमें सरकारी आदेश की वैधता और दायरे पर विस्तृत बहस होने की संभावना है।

Join WhatsApp

Join Now

1 thought on “कर्नाटक हाईकोर्ट ने सरकार को झटका दिया, सार्वजनिक जगहों पर निजी संगठनों की गतिविधियों पर रोक के आदेश के खिलाफ अपील खारिज”

Leave a Reply