Breaking News

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनलों की दुर्दशा पर जताई नाराज़गी, कहा – “अगर सुविधाएं नहीं दे सकते तो ट्रिब्यूनल बंद कर दो”

Bolta Sach News
|
Babri Masjid will be rebuilt
बोलता सच नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को सख्त लहजे में फटकार लगाते हुए कहा कि अगर सरकार ट्रिब्यूनलों में नियुक्त जजों को जरूरी सुविधाएं नहीं दे सकती, तो बेहतर होगा कि इन सभी ट्रिब्यूनलों को खत्म कर दिया जाए और इनके मामलों की सुनवाई हाई कोर्ट में कराई जाए।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा,
“ये जज कोई आम व्यक्ति नहीं, बल्कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति हैं। उन्हें छोटी-छोटी चीजों जैसे स्टेशनरी और गाड़ी तक के लिए विभागों के चक्कर काटने पड़ते हैं। यह न्यायपालिका के सम्मान के खिलाफ है।”

केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट की सलाह:
  • पूर्व जजों को सम्मान और गरिमा के साथ सुविधाएं दी जाएं।
  • सभी ट्रिब्यूनलों में समान बुनियादी ढांचा और संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
  • इस विषय पर एक समन्वय समिति बनाई जाए जिसमें संबंधित मंत्रालय और कार्मिक विभाग शामिल हों।

नियुक्ति के बाद भी पदभार न संभालने पर चिंता:
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बताया कि दो पूर्व जजों ने ट्रिब्यूनल में नियुक्ति मिलने के बावजूद पदभार नहीं संभाला, जिससे चयन प्रक्रिया दोबारा शुरू करनी पड़ी। इस पर कोर्ट ने कहा कि
“अगर नियुक्ति स्वीकार की गई है तो पदभार न संभालना भी अनुचित है।”

याचिका का विषय:
मामला एनजीटी बार एसोसिएशन, वेस्टर्न जोन द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है जिसमें ट्रिब्यूनलों में रिक्त पदों को जल्द भरने की मांग की गई थी।

कोर्ट ने बढ़ाया दबाव, मांगा ठोस समाधान:
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि
“अगर केंद्र सरकार ट्रिब्यूनलों को प्रभावी ढंग से नहीं चला सकती, तो उन्हें बंद कर दिया जाए और सभी मामलों को हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया जाए।”

केंद्र सरकार का जवाब:
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) विक्रमजीत बनर्जी ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह न्यायालय की चिंता को केंद्र तक पहुंचाएंगे और समाधान की दिशा में काम होगा।

अगली सुनवाई:
इस मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर 2025 को होगी। सुप्रीम कोर्ट की यह सख्त टिप्पणी देश में ट्रिब्यूनलों की स्थिति पर सवाल खड़े करती है। कोर्ट ने न सिर्फ केंद्र को चेताया, बल्कि न्यायाधीशों की गरिमा और संस्थानों की प्रभावशीलता को बनाए रखने की जरूरत पर भी जोर दिया।

ये भी पढ़े : बिहार में एसआईआर प्रक्रिया की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में 7 अक्टूबर को अंतिम सुनवाई, पूरे देश पर पड़ेगा असर

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Reply