जीवन शैली एवं स्वास्थ्य (बोलता सच) : चीनी का सेवन कम करने से शरीर में कुछ ही दिनों में सकारात्मक बदलाव दिखने लगते हैं, जबकि ग्लूटेन और अल्कोहल छोड़ने का असर अपेक्षाकृत धीमी गति से होता है और यह व्यक्ति की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है। नेशनल जियोग्राफिक में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और इम्पीरियल कॉलेज लंदन जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों – प्रो. डेविड लुडविग, प्रो. अलेस्सियो फासानो, डॉ. केविन हॉल और प्रो. डेविड नट – का कहना है कि चीनी छोड़ने के महज 72 घंटों के भीतर इसके सकारात्मक प्रभाव महसूस होने लगते हैं।
प्रो. लुडविग के अनुसार, डाइट में बदलाव के 48 से 72 घंटों के भीतर ब्लड शुगर अधिक स्थिर हो जाता है। व्यक्ति को ऊर्जा में बढ़ोतरी और मानसिक स्पष्टता का अनुभव होता है, साथ ही शरीर में सूजन कम होने के संकेत भी मिलते हैं। लंबे समय में इससे मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज और हृदय रोग जैसी बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है।
ग्लूटेन का प्रभाव – सिर्फ संवेदनशील लोगों पर
विशेषज्ञों की राय है कि स्वास्थ्य सुधार के लिए पहला कदम चीनी छोड़ने का होना चाहिए। जब ब्लड शुगर स्पाइक्स कम होते हैं, तो मेटाबॉलिज्म स्थिर होता है और ऊर्जा अधिक टिकाऊ लगती है। वहीं, ग्लूटेन का त्याग तभी लाभकारी होता है जब व्यक्ति को सीलिएक डिज़ीज़ या ग्लूटेन सेंसिटिविटी हो। इन स्थितियों में शरीर ग्लूटेन को पचा नहीं पाता और इम्यून सिस्टम उस पर हमला करता है, जिससे आंतों को नुकसान होता है और पोषक तत्वों का अवशोषण रुक जाता है।
अल्कोहल छोड़ने के धीमे लेकिन गहरे फायदे
अल्कोहल छोड़ने से मिलने वाले फायदे धीरे-धीरे सामने आते हैं। हालांकि यह प्रक्रिया समय लेती है, लेकिन इसके लंबे समय तक चलने वाले लाभ – जैसे मानसिक स्पष्टता, लीवर की बेहतर सेहत और हार्मोनल संतुलन – बेहद महत्वपूर्ण और स्थायी होते हैं।
किसे पहले क्या छोड़ना चाहिए?
शोधकर्ताओं का मानना है कि जो लोग अक्सर थकान, सुस्ती या शुगर क्रैश जैसी समस्याओं से जूझते हैं, उन्हें सबसे पहले चीनी का सेवन कम या बंद करना चाहिए। अल्कोहल और ग्लूटेन को लेकर निर्णय व्यक्ति की चिकित्सा स्थिति पर आधारित होना चाहिए। इसलिए किसी भी डाइट बदलाव से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
क्यों जल्दी असर करती है चीनी?
इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि चीनी सीधे ब्लड शुगर और इंसुलिन स्तर को प्रभावित करती है। इसलिए इसका असर 2-3 दिनों के भीतर दिखाई देने लगता है। दूसरी ओर, अल्कोहल को शरीर में प्रोसेस करने में लीवर को समय लगता है और इसकी वजह से सुधार की प्रक्रिया हफ्तों या महीनों में पूरी होती है। ग्लूटेन का प्रभाव केवल उन लोगों में जल्दी दिखता है जिन्हें पहले से संवेदनशीलता हो।
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